विश्राम को न दें विराम
विश्राम को न दें विराम वर्तमान समय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण शब्द जिसे लोग अब स्मरण में नहीं रखते जबकि इस शब्द मात्र का स्मरण क्षणिक स्फूर्ति प्रदान तो कर ही देता है। सोचिए इस शब्द को ओढ़ लिया जाए तो कितनी चैतन्यता प्रदान करेगा। यह अत्यंत महत्वपूर्ण शब्द है- विश्राम। विश्राम कौन नहीं चाहता। हम-आप, आप-सब, फिर भी सबने आज के भाग-दौड़ वाले वातावरण में इससे दूर होकर अपने जीवन को त्वरित वेग वाला यंत्र बना कर रख दिया है। यह शरीर रूपी यंत्र चलता तो बहुत तीव्र गति से है लेकिन यदि इसके औजारों और पुर्जों को आवश्यकतानुसार नियमित ईंधन नहीं दिया जाएगा तो जल्द ही इस शरीर रूपी यंत्र पर से आपका नियंत्रण खो जाएगा जो पुनः या तो वापस आसानी से नहीं प्राप्त होगा या वो गति हमेशा के लिए खो देंगे। इस उदाहरण के सार्थक अर्थ को समझते हुए हमें विश्राम के महत्व को समझना अतिआवश्यक है। हमारे शरीर द्वारा कार्य करने के दौरान गंवाई गयी ऊर्जा को पुनः को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता होती है विश्राम की। वास्तव में चाहे वह श्वास लेना हो या सोचना या चलना-फिरना, बोलना, देखना या शारीरिक श्रम जैसे दौड़ना-भागना, सामान ...