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Showing posts from March, 2019

लाता है होली अनेको संदेश (भाग-2)

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लाता है होली अनेको संदेश (भाग-2) होली पर्व की दिव्यता का कुछ वर्णन आप सभी के समक्ष प्रथम भाग में प्रस्तुत किया था...अब आप सभी पढ़ें इस लेख का दूसरा व अंतिम भाग... एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार कंस को एक भविष्यवाणी सुनाई दी जिससे ज्ञात हुआ कि कंस को मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है। इस भविष्यवाणी से व्याकुल कंस ने गोकुल में जन्में सारे बच्चों की हत्या करने की एक योजना बनाई। इस योजना के तहत कंस ने पूतना नामक राक्षसी को आमंत्रित किया और कहा, ''तुममे एक विशेष शक्ति है कि तुम कोई भी सुंदर रूप बनाकर महिलाओं में आसानी से घुलमिल सकती हो। अतः तुम गोकुल जाओ और धोखे से स्तनपान कराकर शिशुओं को विषपान कराओ। किसी तरह मुझे सारे शिशु मृत चाहिए। अनेक शिशु मृत्यु को प्राप्त हुए लेकिन जब पूतना श्रीकृष्ण के सामने उपस्थित हुई तो श्रीकृष्ण ने पूतना को पहचान कर उसका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया। यह दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा का था। अतः पूतना वध होने पर सभी ने एक-दूसरे पर पुष्प वर्षा कर खुशियों से होली उत्सव मनाया। एक प्रचलित कथा के अनुसार,  होलिकोत्सव, गोपियों और श्रीकृष्ण के 'रास नृत...

लाता है होली अनेको संदेश (भाग-1)

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लाता है होली अनेको संदेश  (भाग-1) होली एक दिव्य पर्व है, हाँ! यह जरूर है कि इसकी दिव्यता को बनाये रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। खासकर 'होली' एक ऐसा पर्व है जिसकी प्रतीक्षा होली के अगले दिन से ही अगली होली के लिए शुरू हो जाती है हम पूरे साल पूरी उत्सुकता के साथ इंतजार करते हैं क्योंकि... ...लाता है होली अनेको संदेश, हर्षोल्लास का मौसम, देश हो या विदेश। वसंत ऋतु के आगमन का संदेश, रंगने-रंगाने और गाने-बजाने में, भूल जाना होता है क्या ‘फेस’ क्या 'वेश'। लाता है होली अनेको संदेश... वास्तव में होली उत्सव का प्रारंभ फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही हो जाता है और पूर्णिमा तक चलता है। इन्हीं आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन के लिए सामग्रियों को एकत्रित करने का शुभारंभ भी इसी दिन से कर दिया जाता है। इस पावन पर्व को नवसंवत्सर और वसंत आगमन के अवसर पर किए गए दिव्य यज्ञ के रूप में भी मनाते हैं। पारंपरिक रूप से होली दो दिन मनायी जाती है। प्रथम दिन यानी चतुर्दशी की रात्रि को होली पूजन किया जाता है तत्पश्चात...

सोच बदलो तो देश भी बदलेगा

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सोच बदलो तो देश भी बदलेगा एक सुबह की वास्तविक घटना है, एक व्यक्ति सूट-बूट में हमारे दुकान पर खड़ा हुआ और चाचा जी से राम-राम किया। पास में मैं भी खड़ा था, तो मैंने भी अभिवादन किया। क्योंकि चाचा जी की आंख में कुछ समस्या है इसलिए वह उस व्यक्ति को ठीक से पहचान नहीं पाए। उस व्यक्ति के चले जाने के बाद चाचा जी बोले, "कौन थे ये?"  मैंने कहा, "अपने गांव के हीरा काका का लड़का है।" उन्होंने गांव की भाषा में कहा, "हम जानी के आय, सूट-बूट मा आईगा?" मैंने कहा, "हल्द्वानी में रहता है। कमा रहा है तो पहनेगा ही। पहले बेचारे गरीबी में जिये, तब पहनने को कम था, आज भगवान से दिया है तो पहन रहा है।"  चाचा जी बोले, "ठेला-ओला चलावत है, के देखत अहय का करत अहय।" मैंने कहा, "कुछ भी करें, कोई चोरी वगैरह थोड़ी ही कर रहा है।" उन्होंने कहा, "जेके जौन काम है, उहै करै का चाही, ठेला ठेलब उनके काम न वाय।" मैंने कहा, "अब कोई काम छोटा नही है, जीविका चलाने के लिए, अगर टॉयलेट की सफाई का काम भी मिले तो क्या हर्ज है? यदि व्यक्ति उस को ...