तीन टांग वाले सर

*'तीन टांग वाले सर'*

हमारे साथ हुई यह सच्ची घटना, जो कि फरवरी 2019 की है, आपके चेहरे पर मुस्कुराहट और हंसी की बौछार करेगी। आप सोच रहे होंगे 'तीन टांग वाले सर', ये कैसे हो सकता है, लोग तो दो टाँगों पर होते हैं, तीन टांग वाले सर कैसे? क्या मजाक है या सच? हंसी भी आ रही है ना आप सभी को? एक तो टीचर और वो भी पांच टांग पर! क्या रहस्य है ये?
इससे पहले की आप सभी गहरी सोच में डूब जाएं, आपको बता ही देता हूँ कि यह सच है या मजाक... अब रहस्य से पर्दा उठने वाला है।
यह बात मेरे ट्यूशन क्लास 'नेचुरल क्लासेज' की है, नेचुरल क्लासेज में केवल एक फाइबर की कुर्सी जिसपर मैं बैठता था और एक 8x8 वर्ग फीट की पल्ली जिसपर बच्चे बैठते थे।
मैं बच्चों को पढ़ा रहा था कि तभी अचानक से मेरी कुर्सी का नियंत्रण बिगड़ गया और मैं गिरते -गिरते बचा, नीचे देखा तो कुर्सी की एक टांग टूट गयी। ऐसे में बच्चों का हंसना-मुस्कुराना लाज़मी था, लेकिन कुछ सेकेंड के लिए। अचानक हुए इस घटना को देख बच्चे जल्दी से उठे और मुझे संभालने की कोशिश करने लगे। मेरे अंदर एक गर्व की अनुभूति प्रस्फुट हुई क्योंकि इन बच्चों में अच्छे संस्कारों का प्रस्फुटन प्रारंभ हो चुका था। एक समय ये बच्चे किसी का भी मजाक बनाकर उसकी हँसी उड़ा देते थे वो अब समझदार और विवेकशील होने की ओर अग्रसर हो चुके हैं। मैने खुशी से बच्चो का आभार करते हुए उनसे कहा, "वाह बच्चों, आप सभी ने मुझे गिरने से तो बचाया ही, साथ ही अपने आपको भी बचा लिया।" 
बच्चों ने पूछा, "वो कैसे?"
मैने कहा, "याद करो अपने शुरू के दिनों को जब आपका मन नहीं करता था यहां आने का और आज के दिनों को देखो, क्या अंतर है? दीपक पहले तुम बताओ।"
दीपक- "हां, सर। पहले मम्मी जबरदस्ती भेजती थी और अब इंतजार रहता है कि कब समय आए और हम यहां आएं।"
मैं मुस्कुराते हुए बेटू को कुछ कहने को इशारा किया।
बेटू (मुस्कुराते हुए)- "सच में सर, अब तो पढ़ने के साथ और भी चीजें सीखने को मिल रही है।"
मैने कहा- "जैसे?"
बेटू- "जैसे रोज 5 मिनट संस्कार शिक्षा का अपने हमें दिया"
मैने खुश होते हुए कहा - "और! कोई और भी बोल सकता है।"
श्रेया (हाथ ऊपर करते हुए)- "सर, आपने sunday sunday योग सिखाना शुरू किया।"
इसपर निखिल नाम के 6 वर्ष के बच्चे ने श्रेया को सही करते हुए बोला- "सर! योग नहीं योगासन कराना शुरू किया है।"
मुझे बहुत खुशी हुई इस बात पर।
मैने कहा - "Exactlly! सही कहा निखिल ने। आपको बताया था कि अभी तो हम सभी केवल योग के प्रथम तीन अंगों का ही अभ्यास करने की ओर बढ़ेंगे।"
सभी बच्चे एक साथ बोल पड़े - "यम, नियम और आसन।"
मुझे बहुत खुशी हुई। तभी एक बच्चा, जिसका नाम गौरव है, बोल पड़ा।
गौरव - "सर! आपने हमें कई ऐसी कहानियां सुनाई हैं जो कि सच्ची घटना ही थी। इससे हमें बहुत सीखने को मिला।"
मैने कहा - "बिल्कुल! आज के इस घटना को ही ले लो। जिस पर हमारी यह चर्चा हो रही है। न ये कुर्सी की टांग टूटती और न ही हमें आपके संस्कारी होने का प्रमाण मिलता। एक और बात कहूं (विस्मय होते हुए) और ना ही मैं 'तीन टांग' पर आपको यह सब कह पाता।
सभी बच्चे मेरे साथ खूब जोर से हंसने लगे।
मैंने गंभीर होते हुए उन सभी बच्चों से कहा, "हर घटना कुछ बताती है और सिखाती भी बहुत कुछ है।"
मुस्कुराते हुए चेहरों को देखकर मैंने कहा, "आज तो पूरी पढ़ाई तीन टांगों पर ही हो गई।"
तभी 6 वर्ष की एक बच्ची श्रद्धा ने बड़े शालीनता से मुस्कुराते हुए लड़खड़ाती आवाज में बोली, "तीन टांग वाले सर"
सभी बच्चे और ज़ोर से हंसने लगे। मैं क्या किसी बच्चे से कम हूं, मैं भी खूब हंसा। और एक बात और बता दूं कि मुझे संभालने के बाद बच्चों से आसपास से कुछ ईंटें इकट्ठा की और कुर्सी की चौथी टूटी टांग की जगह लगा दी जिससे मैं अपनी कक्षा पूरी कर सकूं। लगभग 6 महीने तक उसी तीन टांग वाली कुर्सी पर बैठकर मैं पढ़ाता रहा। मैं खुद बच्चों से मजाक में कह देता था कि 'तीन टांग वाले सर' ने हो कल homework दिया था, क्या सबने पूरा किया है। तो सभी बच्चे हंसने लगते थे। 

-प्रमोद श्री

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