मुफ्त की सलाह : प्रकृति, संस्कृति या विकृति
मुफ्त की सलाह : प्रकृति, संस्कृति या विकृति पिछले कुछ महीने से प्रतिदिन देख रहा हूँ और विश्लेषण कर रहा हूँ कि मुफ्त की सलाह बहुत मिले परंतु कुछ प्राकृतिक लगा, कुछ संस्कारों से परिपूर्ण मिला और आश्चर्य तो तब अधिक हुआ जब कुछ विकृतियों से भी ओतप्रोत मिला। खैर विकृति, प्रकृति और संस्कृति ये तीनो शब्द कहीं पढ़ने को मिला तो मुफ्त की सलाह को इन तीन शब्दों के साथ जोड़ा तो समझा कि इन्हीं तीन बिंदुओं के आसपास प्रत्येक चीज होती है। सर्वप्रथम बात, मुफ्त के सलाह को प्रकृति रूप में देखने की। अक्सर आप में से अनेक लोगों को मुफ्त में सलाह मिला होगा। कभी तो सलाह बहुत अच्छी लगती है, तो हम खुश होकर उस विषय पर गंभीर चिंतन करने लगते हैं। लगता है बस इसी से जीवन संवर जाएगा। उसी ओर सोचते हुए हम उसकी ओर आगे बढ़ने लगते हैं। लेकिन अगले कुछ पल या दिनों या महीनों बाद फिर कोई आपका सगा आपको फिर कोई सलाह दे जाता है जिससे आपका मन पुनः विचलित हो जाता है और आप पुनः इस नई दिशा में सोचने लग जाते हैं। यहीं आपको संभलने की जरूरत है क्योंकि जैसा कि आपको पिछले लेख में एक सूत्र प्राप्त ...