किसके लिए- कौन गलत? कौन सही?


किसके लिए- कौन गलत? कौन सही?



"अरे, वो तो बहुत अच्छा आदमी है", "नहीं जी, ये व्यक्ति मुझे समझ में नही आया", "वो तो बहुत घमंडी है", "उसने मेरे साथ अच्छा नही किया", "वो तो बहुत व्यवहारिक आदमी हैं", "भाई, मेरे लिए तो इन्होंने बहुत किया है", "मैं इनका अहसान कभी नहीं भूलूंगा", "तुम्हारे लिए वो आदमी खराब हो सकते हैं, लेकिन मेरे लिए तो भगवान समान हैं", "वो तो बढ़िया व्यक्ति हैं, सबकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं", "सबकुछ होते हुए भी ये व्यक्ति बड़ा ही नकारात्मक है", "आपके साथ उन्होंने क्या किया, मुझे नहीं पता लेकिन मेरे साथ वो हमेशा अच्छे कार्य करते हुए रहे"

ये कुछ वाक्य हैं जो अक्सर या वास्तविक कहूँ तो शायद प्रतिदिन आप सभी चलते-फिरते, आपस में बात करते, किसी से कहते-सुनते रूबरू होते हैं। ये सभी के अपने-अपने विचार हैं, विचारों का सामंजस्य है, वातावरण का प्रभाव है, परिवेश के प्रभाव है।
अधिकतर लोग दूसरों की कमियां ढूंढते नजर आते हैं। वास्तव में कमियां उन्हीं में हैं क्योंकि जो व्यक्ति दूसरों के आंतरिक व्यवहार को बिना जांचे-परखे, उसके द्वारा किये कार्य एवं उसके वैचारिक सामंजस्य को बिना तराजू के पलड़े पर रखे तौल देता है, और अपने स्वार्थ के अनुसार उसमें भार का समावेश कर देता है, ऐसे व्यक्ति का विचार कहाँ तक सुविचार हो सकता है, उसमें स्वयं में कमियां हैं, लेकिन स्वयं को हमेशा महान समझ अपना ही गुणगान करता पाया जाता है।
अधिकतर लोग दूसरों की गलतियों का जिक्र करते पाए जाते हैं, अधिकतर लोग दूसरों की ख्वामख्वाह बुराइयां करते नही थकते, जीवन में गलतियां होना भी स्वाभाविक है लेकिन गलतियां दोहराना मूर्खता की निशानी है। सच कहूं तो गलतियां हमें सीखने का अवसर प्रदान करती हैं, जो इसे समझ गया वो बहुत आगे बढ़ जाते हैं। खैर, बात कर रहा हूँ कि जब किसी से अकारण अनजाने में कोई गलती हो गयी (ये पहचानना थोड़ा कठिन होता है कि गलती जान-बूझ कर की गई है या अकारण अनजाने में हुई है, फिर भी सकारात्मक दिशा में विचार कर स्वेक्षा से निर्णय लिया जाना चाहिए) और गलती करने वाला जन उसके प्रति खेद और क्षमा भाव दर्शाता है तो उस मुद्दे को वहीं पर अन्य जनों द्वारा त्याग कर आगे अन्य अच्छे विचारों या कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वास्तव में ऐसा बहुत मुश्किल होता है। गलती करने वाले व्यक्ति ने तुरंत स्वीकार किया लेकिन कुछ विशेष कुविचारी लोग भी हैं जो उस गलती को अनावश्यक तूल देकर आनंदित होते हैं और मन की भड़ास को निकलते हैं।
अधिकतर इसी बात को लेकर रुष्ट मिलेंगे कि फलां व्यक्ति ने मेरे साथ अच्छा नही किया। ये हो सकता है कि आप उस फलां व्यक्ति की नजर में वह स्थान न बना पाए हों, हो सकता है कि आप लाख अच्छे हों लेकिन वह नकारात्मक प्रवृत्ति का हो, ये भी हो सकता है कि उसकी उस समय की परिस्थिति ही ऐसी हो कि वह फलां व्यक्ति आपके अनुसार सामंजस्य न बिठा पाया हो। कारण बहुत से हो सकते हैं, इसलिए ये कहना कि फलां व्यक्ति ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया, ये मेरा काम नहीं किया, सर्वथा अनुचित है। विचारों का मिलान होना जीवन में बहुत आवश्यक है।
कुछ अच्छे लोग यदा-कदा किसी की तारीफ करते अवश्य मिल जाते हैं। बहुत खुशी होती है जब ऐसे लोगों से साक्षात्कार हो जाता है। ऐसे लोग हर समय, हर क्षण अपने आप से संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं। ऐसे लोग कभी किसी को नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखते, ऐसे लोग कभी किसी के प्रति नकारात्मक विचार नहीं रखते, ऐसे लोग कभी कलह की स्थिति नहीं बनने देते, ऐसे लोग किसी भी परिस्थिति में प्रभावित नहीं होते बल्कि परिस्थितियों को प्रभावित कर देते हैं। ऐसे लोगों में एक विशेष गुण होता है कि "जो हो चुका ", यदि वह सकारात्मक हुआ या उसका परिणाम सकारात्मक आया तो खुश अवश्य होंगे लेकिन घमंड या अहंकार नही करेंगे। और यदि वह गलत हुआ या गलती से हुआ, इस पर भी वह उससे सीख लेने की कोशिश करता है और किसी अन्य में गलती, कमियां, खामियां आदि नहीं निकलता। वह यह नहीं कहता कि ये गलती मेरे कारण नहीं, किसी अन्य की गलती से हुआ है।
एक बात तो शाश्वत सत्य है कि सभी जनों का एक-दूसरे के कार्यकलापों, एक-दूसरे के व्यवहार, एक-दूसरे के विचार, एक-दूसरे की पसंद बराबर हो, ऐसा संभव नही है। आवश्यक नहीं की जिन्हें हम प्रेम, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा आदि दें, वो भी हमें उतना ही प्रेम, मान-सम्मान दें। इसलिए कभी-भी न तो दूसरों की कमियां ढूंढें, न ही किसी को अकारण ही गलत कहें। स्वयं को जांचें-परखें, आत्मावलोकन करें कि कहीं ऐसा तो नहीं कि फलां व्यक्ति ने आपके विचार के अनुसार कार्य नही किया या किसी के द्वारा किये कार्य से आपका विचार भिन्न हुआ तो आप उसे गलत कहें या उसकी कमियां निकालें और उसको निंदा भाव रखते हुए अन्य से कहें। 
इसलिए प्रयास करना प्रारंभ कीजिये, सकारात्मक होने के लिए, मन को अपने ऊपर केंद्रित करने के लिए, स्वयं का आत्मावलोकन करने के लिए, अन्य में भी  खुशियां ढूंढिए, स्वयं या अन्य में नकारात्मकता को नजरअंदाज कर सुधार के लिए प्रयास करें, जीवन सरल अवश्य होगा।

किसके लिए- कौन गलत? कौन सही?
अकारण ही ये भाव रखना है सही नहीं।

विचार को सुविचार का स्वरूप दें तो,
पूर्णता के निमित्त जीवन की है डगर सही।।

- आपका कम शब्दों का लेखक
(प्रमोद केसरवानी)


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