सोच बदलो तो देश भी बदलेगा एक सुबह की वास्तविक घटना है, एक व्यक्ति सूट-बूट में हमारे दुकान पर खड़ा हुआ और चाचा जी से राम-राम किया। पास में मैं भी खड़ा था, तो मैंने भी अभिवादन किया। क्योंकि चाचा जी की आंख में कुछ समस्या है इसलिए वह उस व्यक्ति को ठीक से पहचान नहीं पाए। उस व्यक्ति के चले जाने के बाद चाचा जी बोले, "कौन थे ये?" मैंने कहा, "अपने गांव के हीरा काका का लड़का है।" उन्होंने गांव की भाषा में कहा, "हम जानी के आय, सूट-बूट मा आईगा?" मैंने कहा, "हल्द्वानी में रहता है। कमा रहा है तो पहनेगा ही। पहले बेचारे गरीबी में जिये, तब पहनने को कम था, आज भगवान से दिया है तो पहन रहा है।" चाचा जी बोले, "ठेला-ओला चलावत है, के देखत अहय का करत अहय।" मैंने कहा, "कुछ भी करें, कोई चोरी वगैरह थोड़ी ही कर रहा है।" उन्होंने कहा, "जेके जौन काम है, उहै करै का चाही, ठेला ठेलब उनके काम न वाय।" मैंने कहा, "अब कोई काम छोटा नही है, जीविका चलाने के लिए, अगर टॉयलेट की सफाई का काम भी मिले तो क्या हर्ज है? यदि व्यक्ति उस को ...
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