ग़म जैसी कोई चीज नहीं...

ग़म जैसी कोई चीज नहीं…



खुश होना तो सभी चाहते हैं, लेकिन ग़म साथ छोड़ता ही नहीं है| क्यों?
क्योंकि हम उसे ग़म समझते हैं| वास्तव में ये परिस्थितियां हैं जो कि हमें ख़ुशी और ग़म देते हैं| यदि हमारे मन के अनुकूल कोई घटना घटती है तो हम उसे ख़ुशी समझते हैं लेकिन जब हमारे मन के विपरीत कोई परिस्थिति बनी तो उसे हमने समझ लिया ग़म| इस संसार में कोई १०० प्रतिशत खुश या कोई भी १०० प्रतिशत ग़म में नहीं हो सकता है इसलिए कोशिश यह क्यों न किया जाये कि हम परिस्थितियों के अनुकूल होने के बजाय परिस्थितियों को ही अपने अनुकूल कर लें| यह भी हो सकता है कि अब अगर परिस्थितियों को अपने अनुकूल न कर पाए तो भी कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि उससे तब हम किसी और तरीके से मुकाबला कर पाएंगे | वह माध्यम है उसे भी "हम ख़ुशी ख़ुशी अपनाकर बिता दें" क्योंकि जो है तो वो है ही है उसे कोई बदल नहीं सकता| उसे बिताना या उसका मुकाबला करना जरुरी है | उसे बिताना कैसे है ? यह बहुत महत्वपूर्ण है | 
अतः उसे हम ख़ुशी ख़ुशी बिता लें तो जिंदगी की राह आसान हो जाती है | साथ में हर पल- प्रति क्षण उस ईश्वर को या अपने माता-पिता का स्मरण अवश्य करें जिससे हमें किसी मुसीबत का सामना करने का बल मिलता है | सकारात्मक प्रयास कभी छोड़ें एक समय अवश्य आएगा जब आप हर परिस्थितियों का सामना हँस कर करेंगे क्योंकि आपको जीवन का सत्य पता है | आप उन सभी लोगों से भी अच्छा महसूस करेंगे जिनके पास सबकुछ होते हुए भी रोते रहते हैं वहीं आप चेहरे पर मुस्कराहट लिए आनंदित महसूस करेंगे | इंसान हैं तो जीवन व्यतीत करने हेतु जितने भी साधन उपयोगी हैं उसे प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहना होगा, आप सकारात्मक चुनौतियों से अपने को घिरा करेंगे लेकिन हतोत्साहित नहीं होंगे | आपको किसी से कोई अपेक्षा भी नहीं होगी कि उसने मेरे साथ ये किया- वो किया, उसने मुझे ये नहीं दिया - वो नहीं दिया क्योंकि आपने अपना कदम बढ़ने के लिए किसी सहारे की कोई आवश्यकता नहीं रखी होगी | किसी ने कोई सहायता की तो पहले आदरपूर्वक मना किया, नहीं माने तो स्वीकार कर लिया, क्योंकि यदि नहीं करेंगे तो भी इसे आपका घमंड समझ लिया जायेगा कि "देखो, कुछ है नहीं फिर भी घमंड, ये तो गलत है, मैंने तो सिर्फ मदद करने की सोची थी|" 
आप आगे बढ़ जायेंगे और एक समय ऐसा भी आएगा जब आपके पास सबकुछ होगा और उसकी कीमत भी आप समझेंगे और आपके अंदर घमंड जैसी कोई चीज नहीं होगी क्योंकि आप ऐसा समय देखकर आगे बढे हो जो किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से परे था | हाँ ! यह जरूर हो सकता है कि आप किसी अन्य को ऐसी स्थिति में देखें तो उसकी मदद को अपना हाथ बढ़ा दें | उसने हाथ थम लिया तो ठीक अन्यथा आप तो खुश हो | 
साथ में एक और बात कहनी है जो कि अगले लेख में आपसे साझा करूँगा.... 

ॐ नमः शिवाय 

Comments

  1. Bikul sahi kaha bhaiya aapne. Itni gehri baat ko aapne kitne aache se explain kiya hai. Desires to kabhi b khatam nahi hohi. Bas jaroorat hai satisfaction ki.

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